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पढ़िए एक पत्रकार आपको क्या कहना चाहत है?

लड़ाई हो तो पत्रकारों को बुलाओ
सड़क नही बनी पत्रकारों को बुलाओ
पानी नही आ रहा पत्रकारों को बुलाओ
नेतागिरी में हाईलाइट होना है तो पत्रकारों को बुलाओ
नेतागिरी चमकानी हो तो पत्रकरो को बुलाओ
पुलिस नही सुन रही तो पत्रकारों को बुलाओ
प्रशासन के अधिकारी नही सुन रहे पत्रकारों को बुलाओ
जनता की हर छोटी मोटी समस्या के लिए पत्रकार हमेशा हाजिर हो जाते है और अपने कर्तव्यों का निर्वहन बखूबी निभाते है
पर जब पत्रकारों पर हमला होता है उनकी हत्या की जाती है तब आम जन राजनेता समाजसेवी क्यो नही पत्रकारों का साथ देने आगे आते है
जरा सोचिए पत्रकार भी आपके समाज का हिस्सा है फिर पत्रकारों पर हमले का विरोध सिर्फ पत्रकार ही करते है। बाकी क्यों नही करते है  ॥ 
 सुरेश कुमार गुप्ता (पत्रकार ) जयनगर अनुमंडल
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