हरलाखी(मधुबनी): हरलाखी प्रखंड के कसेरा गांव की छात्रा सह जागरूकता अभियान संस्था गंगौर की सदस्य अनामिका झा ने वर्तमान शिक्षा व्यवस्था को लेकर दुःख जताते हुए कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में पौराणिक काल से ही भारत विश्व गुरू की छवि रहा है। बिहार उसका गढ़ रहा है। बिहार ने ही सबसे पहले विश्व विद्यालय दुनिया को देने का काम किया है। हमारे यहां नालंदा विश्व विद्यालय जैसी गौरव पुर्ण शैक्षणिक संस्थान है, फिर भी आज बिहार की कम साक्षरता दर और शैक्षणिक संस्थानों की घटती लोकप्रीयता चर्चा का विषय बना हुआ है। जो दुःखद है। हमें अपने शैक्षणिक व्यवस्थाओं में आमूलचुल परिवर्तन करना होगा और गर्त में जा रही शिक्षा व्यवस्था एवं बढ़ती बेरोजगारी की समस्या को खत्म करने के लिए आधार मजबुत करना होगा। हमारे यहां सरकारी शैक्षणिक संस्थाओं में बहुत सारी समस्याएं है। जिनमें से कुछ प्रमुख समस्याओं का मैं जिक्र करना चाहती हूं।
जो की निम्न हैं -
1. कुशल शिक्षकों की कमी।
2. गलत लोगों के हाथों में स्कूलों का संचालन।
3. गैर शैक्षणिक लोगो के द्वारा शिक्षण संस्थानों का व्यवसाय।
4. शिक्षा का व्यवसायीकरण।
5. सरकारी संस्थानो में विश्वास की कमी।
6. शैक्षणिक पाठ्यक्रमों में राजनीतक नफा नुकसान का आकंलन करना समेत कई मामले शामिल है।
1. कुशल शिक्षकों की कमी।
2. गलत लोगों के हाथों में स्कूलों का संचालन।
3. गैर शैक्षणिक लोगो के द्वारा शिक्षण संस्थानों का व्यवसाय।
4. शिक्षा का व्यवसायीकरण।
5. सरकारी संस्थानो में विश्वास की कमी।
6. शैक्षणिक पाठ्यक्रमों में राजनीतक नफा नुकसान का आकंलन करना समेत कई मामले शामिल है।
अब जरूरत है कि इन सभी समस्याओं का समाधान जड़ से हो। जिसको लेकर एक पारदर्शी तरीके योजना लागु करना है। प्रलोभित योजनाओं के संचालन से बेहतर है कि "सबको शिक्षा अनिवार्य" हो, ऐसा एक कानून हमारे संविधान में जोड़ा जाए। शिक्षा में स्कील डेवलपमेंट जैसे क्रियाकलाप माध्यमिक स्तर से ही हो। जिससे युवाओं के कौशल में निखार होगा और रोजगार मिलने की पुरी पुरी संभावना बन सकेगी। तब जाकर हमारा देश व समाज एक बेहतर दिशा में जाएगा और बेहतर विकास हो पाएगा। इसलिए जल्द ही हम लड़कियां शिक्षा व्यवस्था में बदलाव को लेकर चरणबद्ध आंदोलन करेंगे।
0 comments:
Post a Comment