33 साल से कर रहे पेंटिंग, पर खरीदार का इंतजार
मधुबनी : मिथिला पेंटिंग के क्षेत्र में देशभर में ख्याति रखने वाले
जितवापुर गांव को शिल्प ग्राम का दर्जा हासिल है. प्रशासन भी इस गांव
को पूरे तौर पर विकसित करने की रूपरेखा तैयार करने में जुटा है. वहीं, यहां
के अनेक कलाकार फटेहाल हैं. बिचौलिये हावी हैं. बाहर जाकर पेटिंग बेची,
कमाई हुई, तो ठीक नहीं, तो कर्ज लेकर परिवार का भरण-पोषण करना आज भी इन
कलाकारों की नियति है. अब तक इन्हें बाजार ही उपलब्ध नहीं कराया जा सका
है. हालात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि राष्ट्रीय पुरस्कार
प्राप्त कलाकार उत्तम प्रसाद पासवान बताते हैं कि तीस साल में तो आज तक
उनके घर पर कोई खरीदार नहीं आया. बिचौलिये बाहर ही विदेशी सैलानी को रोक कर
पेंटिंग बेच देते हैं. पूरा परिवार पांच छह माह पेंटिंग करता है, एक बार
बाहर जाकर कहीं मेले में उसे बेचते हैं और उससे मिले पैसे से कर्ज चुकते
हैं. इसी प्रकार कलाकार काली झा अपने हाथों में पेंटिंग लिये उदास बैठे थे.
बताते हैं कि छह माह से उनकी पेंटिंग बनी हुई है. इसकी कीमत 3500 से चार
हजार रुपये है. बिचौलिये 1200 रुपये में मांग रहा है.
घर में रखी है पेंटिंग, पर नहीं मिल रहे खरीदार
पूरे गांव में करीब पचास लाख से अधिक की पेंटिंग अब भी कलाकारों के घर
में पड़ी है, पर खरीदार नहीं आ रहे. कलाकारों को बाजार उपलब्ध कराने की
बात तो दशकों से हो रही है, पर अब तक धरातल पर कुछ नहीं हुआ है. ऐसे में अब
तक कलाकार को अपनी कलाकृति बेचने के लिए बिचौलिये पर ही निर्भर रहना पड़
रहा है.
जापानी पर्यटकों के लिए बनेगा केंद्र : जितवारपुर को क्राफ्ट विलेज
घोषित किये जाने के बाद अब यहां जापानी सैलानियों के लिए पर्यटन केंद्र
खोला जायेगा. जिला पदाधिकारी शीर्षत कपिल अशोक ने बताया है कि मंत्रालय से
दस करोड़ रुपये आवंटित होने हैं. इस पैसे का उपयोग पर्यटन केंद्र बनाने,
पेंटिंग को सहेजने व इसको एक जगह रखने पर खर्च किया जायेगा.
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