मधुबनी: जिले के सभी कार्यपालक सहायकों ने सेवा स्थायी एवं वेतनमान, मानदेय विषमता, हटाये गये कार्यपालक सहायक को वरीयता के आधार पर पुनर्नियोजन एवं अनुभव की मान्यता सहित सात सूत्री मांगों के साथ सरकार द्वारा कार्यपालक सहायकों को तुष्टिकरण रवैया रखने के कारण मंगलवार को समाहरणालय के समक्ष स्थित डॉ. भीम राव अम्बेदकर के प्रतिमा स्थल के प्रांगण में धरना प्रदर्शन एवं पुतला दहन किया। जिला सचिव द्वारा कहा गया कि यदि सरकार हमारी मांगों पर सहानभूति पूर्वक विचार नहीं करती है, तो आंदोलन को और भी तेज किया जाएगा, जिसकी सारी जवाबदेही सरकार की होगी। बिहार राज्य अरापत्रित कर्मचारी महासंघ, मधुबनी के जिला मंत्री रमण प्रसाद सिंह, सहायक जिला मंत्री, ने कहा कि सरकार द्वारा कार्यपालक सहायकों पर बार-बार अन्याय कर रही है। विगत कई वर्षो से कार्यपालक सहायको के द्वारा सरकार से वाजिब हक स्थायीकरण एवं वेतनमान की मांग की जा रही है। सभी कार्यपालक सहायक स्नातक है एवं कंप्यूटर की दक्षता रखते है एवं विगत 8 सालो से सरकारी कार्य बहुत ही कुशल तरीके से संचालित कर रहे है। परन्तु मानदेय वृद्धि संबंध में परीक्षा का निर्णय न्यायसंगत नहीं है। दिनांक 15 मार्च को शाषी परिषद के बैठक में मानदेय विषमता के संबंध में बिहार प्रशासनिक मिशन के तीन पदों में सिर्फ कार्यपालक सहायक के परीक्षा का प्रस्ताव रखा गया। बांकि दो पद (आई0 मैनेजर एवं आई0टी0 सहायक) को बिना परीक्षा लिए मानदेय बढ़ोतरी की गयी, जो कि बी0पी0एस0एम0 पदाधिकारी के गलत मंशा को दृष्टिगत करता है। इस निर्णय से मधुबनी जिला सहित पूरे बिहार में कार्यपालक सहायकों में आक्रोश व्याप्त है।
सरकार कार्यपालक सहायकों को चौतरफा अन्याय कर रही है, जो कही से न्यायसंगत नहीं है।सरकार के इस वादाखिलाफ नीति को अब कार्यपालक सहायक बर्दास्त नहीं करेगा। बिहार राज्य कार्यपालक सहायक सेवा संघ के जिला सचिव श्री संजीत कुमार ने कहा कि सेवा स्थायी एवं मानदेय विषमता को दूर करने के लिए वर्षो से कार्यपालक सहायकों द्वारा सरकार के समक्ष अपनी मांग रख रही है। आज मधुबनी जिला सहित पूरे बिहार में आर0टी0पी0एस0 एवं लोक शिकायत कार्य पूर्णतः ठप है, जिसके कारण आम जनों को परेशानी का सामना करना पड़ हैं। केन्द्र सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम मासिक वेतन 21000 निर्धारित किया गया। जिसे निजी क्षेत्र में लागू करने का शक्त आदेश दिया गया है। परन्तु बिहार सरकार के कार्योलयों में तकनिकी संवर्ग के कर्मियों को 11000 रूपया देकर दिन रात खटवा रही है, जो कि सरकार में रहते हुए सरकार के आदेश की अवहैलना है। बढ़ती महंगाई की दौड़ में इतने कम मानदेय में अपने परिवार का संचालन, बच्चो की पढ़ाई, खान-पान इत्यादि मूल भूत आवश्यकताओं की पूर्ति करना भी दूलर्भ हो चुका है। अंग्रेजो की तरह शोषण की निती के कारण पूरे बिहार के कार्यपालक सहायकों में आक्रोश व्याप्त है। श्री कुमार ने कहा कि सरकार यदि हमारी मांगों को पूरी नहीं करती है, तो धिरे-धिरे आंदोलन को और भी तीव्र किया जाएगा। इसकी सारी जवाबदेही सरकार की होगी। धरना स्थल पर सत्यजीत ठाकुर, राजन ठाकुर, पारस कुमार ठाकुर, नीरज कुमार, अखिलेश कुमार, फकीर कुमार मंडल, राम उदगार राम, जय प्रकाश यादव, नरेन्द्र कुमार, सचिन कुमार, मनीषा कुमारी, प्रीति कुमारी, निशा कुमारी, स्नेहा कुमारी, नूतन कुमारी, अजीत कुमार मंडल, बौआजी पासवान, मो0 मजहर खॉ, राजीव कुमार झा, ललन चौरसिया, अनिल अंसुमन, सुमन कुमार, गोपाल चंद्र शशि, सचिन कुमार, कमलेश रंजन, बब्लू ठाकुर, प्रदीप कुमार राय, सुशांत कुमार, अनिल कुमार, विक्रम कुमार, अजीत कुमार आदि मौजूद थे।
सरकार कार्यपालक सहायकों को चौतरफा अन्याय कर रही है, जो कही से न्यायसंगत नहीं है।सरकार के इस वादाखिलाफ नीति को अब कार्यपालक सहायक बर्दास्त नहीं करेगा। बिहार राज्य कार्यपालक सहायक सेवा संघ के जिला सचिव श्री संजीत कुमार ने कहा कि सेवा स्थायी एवं मानदेय विषमता को दूर करने के लिए वर्षो से कार्यपालक सहायकों द्वारा सरकार के समक्ष अपनी मांग रख रही है। आज मधुबनी जिला सहित पूरे बिहार में आर0टी0पी0एस0 एवं लोक शिकायत कार्य पूर्णतः ठप है, जिसके कारण आम जनों को परेशानी का सामना करना पड़ हैं। केन्द्र सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम मासिक वेतन 21000 निर्धारित किया गया। जिसे निजी क्षेत्र में लागू करने का शक्त आदेश दिया गया है। परन्तु बिहार सरकार के कार्योलयों में तकनिकी संवर्ग के कर्मियों को 11000 रूपया देकर दिन रात खटवा रही है, जो कि सरकार में रहते हुए सरकार के आदेश की अवहैलना है। बढ़ती महंगाई की दौड़ में इतने कम मानदेय में अपने परिवार का संचालन, बच्चो की पढ़ाई, खान-पान इत्यादि मूल भूत आवश्यकताओं की पूर्ति करना भी दूलर्भ हो चुका है। अंग्रेजो की तरह शोषण की निती के कारण पूरे बिहार के कार्यपालक सहायकों में आक्रोश व्याप्त है। श्री कुमार ने कहा कि सरकार यदि हमारी मांगों को पूरी नहीं करती है, तो धिरे-धिरे आंदोलन को और भी तीव्र किया जाएगा। इसकी सारी जवाबदेही सरकार की होगी। धरना स्थल पर सत्यजीत ठाकुर, राजन ठाकुर, पारस कुमार ठाकुर, नीरज कुमार, अखिलेश कुमार, फकीर कुमार मंडल, राम उदगार राम, जय प्रकाश यादव, नरेन्द्र कुमार, सचिन कुमार, मनीषा कुमारी, प्रीति कुमारी, निशा कुमारी, स्नेहा कुमारी, नूतन कुमारी, अजीत कुमार मंडल, बौआजी पासवान, मो0 मजहर खॉ, राजीव कुमार झा, ललन चौरसिया, अनिल अंसुमन, सुमन कुमार, गोपाल चंद्र शशि, सचिन कुमार, कमलेश रंजन, बब्लू ठाकुर, प्रदीप कुमार राय, सुशांत कुमार, अनिल कुमार, विक्रम कुमार, अजीत कुमार आदि मौजूद थे।
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