मधवापुर(मधुबनी): मधवापुर प्रखंड मुख्यालय स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र मधवापुर
में महिला चिकित्सक एवं संसाधनों के अभाव के कारण स्वास्थ्य सेवा प्रभावित
हो रही है। तकरीबन एक लाख पचास हजार की आबादी को नि:शुल्क चिकित्सा सेवा
उपलब्ध कराने के लिए स्थापित उक्त स्वास्थ्य केन्द्र में स्थापना काल से ही
महिला चिकित्सक व संसाधनों की कमी के कारण आए दिन मरीजों को परेशानी का
सामना करना पड़ रहा है। भारत-नेपाल सीमा पर स्थापित इस प्राथमिक स्वास्थ्य
केन्द्र में बड़ी तादात में नेपाल से भी लोग अपना इलाज कराने आते हैं।
पीएचसी में प्रतिदिन 150 से 200 मरीजों यहां इलाज के लिए पहुंचते हैं। ओपीडी में 33 में 27 प्रकार की दवाएं उपलब्ध है। जबकि इंडोर में 112 में 58
प्रकार की दवा ही उपलब्ध है। अस्पताल में चिकित्सकों के कुल स्वीकृत 8 पद
है। जिनमें एमबीबीएस चिकित्सक चार, डेंटल एक एवं तीन आयुष चिकित्सक
पदस्थापित है। इसके अलावे ड्रेसर और कंपाउंडर के दो पद पूर्व से रिक्त पड़े
हुए हैं। इस तरह पीएचसी में कार्यालय कर्मी व स्वास्थ्य कर्मियों के कई पद
वर्षो से खाली पड़े हुए हैं।
अस्पताल में मौके पर मौजूद प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. सुधाकर मिश्र ने
कहा कि दो वर्ष पहले पीएचसी को सीएचसी में तो उत्क्रमित कर दिया गया और
सीएचसी का भवन भी तैयार हो चुका है, परंतु संसाधन के अभाव में काफी परेशानी
का रोज सामना करना पड़ रहा है। यहां जांच के नाम पर खसरा, टीवी, एचआईवी,
गर्भवती महिलाओं के लिए सुगर, हीमोग्लोबिन, की जांच की जाती है। पीएचसी में
एक्सरे की सुविधा उपलब्ध है। जबकि महिला चिकित्सक के नहीं रहने के कारण
प्रसव कार्य नर्स व दाई के भरोसे की जाती है। आए दिन प्रसव कराने पीएचसी
पहुंची महिला प्रसव वेदना से तरपती रहती है। कई बार स्थानीय जनप्रतिनिधियों
व प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों के द्वारा महिला चिकित्सक का पदस्थापन
करने की मांग के बाबजूद अबतक महिला डॉक्टर का पदस्थापन नहीं किए जाने से
महिलाओं को परेशानी का रोज सामना करना पड़ता है। इसके अलावा पीएचसी में
चिकित्सकों एवं स्वास्थ्य कर्मियों के लिए बनाए गए आवासीय भवन जर्जर व
क्षतिग्रस्त रहने के कारण लोग बाहर किराए का मकान लेकर रहने को विवश है।
मालुम हो कि पीएचसी को सीएचसी में तब्दील तो कर भवन निर्माण होने के बाबजूद
महिला चिकित्सक व संसाधनों की कमी के कारण मरीजों को काफी परेशानीयों का
रोज सामना करना पड़ रहा है। सीएचसी में बेड, विशेषज्ञ चिकित्सक, दवा, एएनएम
एवं स्वास्थ्य कर्मियों का घोर अभाव के कारण आए दिन स्वास्थ्य सेवाएं
प्रभावित होती है। रोगी कल्याण समिति के वरिष्ठ सदस्य दयानंद मिश्र ने कहा
कि महिला चिकित्सक नहीं रहने से काफी परेशनी का सामना करना पड़ रहा है।
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