मधुबनी: सरकार की लापरवाही व शिक्षा विभाग की उदासीनता के कारण सीता
मुरलीधर प्लस टू उच्च विद्यालय बसैठ बदहाली की दौर से गुजर रही है। उच्च
विद्यालय में जहां संसाधन का घोर अभाव है। वहीं सरकारी बदइंतजामी का
खामियाजा छात्र-छात्राओं को भुगतना नियति बनकर रह गई है। सीता मुरलीधर प्लस
टू उच्च विद्यालय बसैठ में जहां कुल 1040 छात्र-छात्राएं हैं। वहीं शिक्षक
की संख्या 15 है। जबकि, एक कमरे में एक हजार 40 छात्र-छात्राएं पढ़ने को
विवश हैं। सीता मुरलीधर उच्च विद्यालय बसैठ की स्थापना 1951 ई. में हुई। इस
विद्यालय को 2008 ई. में प्लस टू का दर्जा मिला। वही वर्ष 2009 में प्लस
टू विद्यालय भवन के निर्माण के लिए 39 लाख 50 हजार रुपये आवंटित किए गए,
लेकिन भवन निर्माण कार्य ससमय नहीं होने के कारण 2011 में विद्यालय भवन के
नाम पर आवंटित राशि वापस चली गई। क्या है समस्या. सीता मुरलीधर प्लस टू
उच्च विद्यालय बसैठ में संसाधन का घोर अभाव है। प्लस टू उच्च विद्यालय के
पास जहां भवन का अभाव है। वहीं एक कमरे में बैठकर 1040 छात्र-छात्राएं
पढ़ने को विवश हैं। जबकि, उच्च विद्यालय के पूर्व के बने एक दर्जन कमरे
क्षतिग्रस्त व जर्जर होकर खंडहर में तब्दील हो चुके हैं। विद्यालय के पास
पांच बीघा का विशाल भूखंड है। बाउंडरी नहीं है। शौचालय की हालत बद से बदतर
है। छात्रावास ध्वस्त हो है। कम्प्यूटर शिक्षा नहीं है। चापाकल एक है जो
बराबर खराब ही रहता है।
*शिक्षकों का है अभाव.
सीता मुरलीधर प्लस टू उच्च विद्यालय में अंग्रेजी विषय का शिक्षक नहीं रहने
से छात्र-छात्राओं को भारी कठिनाई का सामना करना पड़ता है वहीं आदेशपाल दो
है जबकि क्लर्क का अभाव है।
*क्या कहते हैं छात्र
सीता मुरलीधर प्लस टू उच्च विद्यालय की छात्रा नहींदा प्रवीण, रूबी
खातून, हाजरा प्रवीण, तंजीला खातून, नाहिद प्रवीण, जैनव प्रवीण, शबजीदा
प्रवीण, छात्र मुरारी कुमार झा, अरविन्द्र कुमार ठाकुर ने बताया कि उच्च
विद्यालय में संसाधन का घोर अभाव है। एक ओर जहां शिक्षक की कमी है वहीं
दूसरी ओर बरसात के दिनों में विद्यालय भवन के छत से पानी टपकने के कारण
छुट्टी हो जाती है। जबकि शौचालय की हालत दयनीय है वही कंप्यूटर शिक्षा की
पढाई नहीं होती है। कहतीं हैं प्रभारी एचएम सीता मुरलीधर उच्च विद्यालय बसैठ के एचएम गजाला प्रवीण कहतीं है कि
विद्यालय की समस्याओं के संबंध में कई बार शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों को
पत्राचार किया गया। लेकिन, समस्या जस की तस है। वहीं संसाधन के अभाव में
परेशानी का दंश झेलना पर रहा है। जबकि प्लस टू उच्च विद्यालय में भवन की
भारी अभाव है।
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