- वर्षों बाद भिक्षाटन की राशि व श्रमदान से बसैठ हाई स्कूल को नसीब हुआ छत
- विधान पार्षद के गांव में भिक्षाटन की राशि से स्कूल मरम्मत का काम हुआ शुरू
- हाई स्कूल में भवन निर्माण के लिए एमएसयू ने भिक्षाटन कर शुरू किया मरम्मत्ति का काम
- एमएसयू ने भवन मरम्मति के लिए मांग रही भीख
- विद्यालय में हैं सिर्फ 2 कमरें, 2008 में प्लस टू का मिल चुका है दर्जा
- गमछा बिछाकर भीख मांगा और जमा किया 50 बांस, बालू, गिट्टी, सीमेंट और रुपया
बेनीपट्टी(मधुबनी): अनुमंडल प्रक्षेत्र के सीता मुरलीधर उच्च विद्यालय बसैठ के जर्जर मकानों को वर्षों बाद मिथिला स्टूडेंट यूनियन के प्रयासों से छत नसीब हुआ. आज सुबह से ही मिथिला स्टूडेंट यूनियन के दर्जनों कार्यकर्ता बसैठ में जुटना शुरू हुए.बेनीपट्टी प्रखंड के अलावे मधुबनी जिला टीम, कलुआही, पंडौल, मधुबनी नगर की टीमों ने मौकें पर पंहुच कर श्रमदान किया. खुद से यूनियन के कार्यकर्ता बांस, बल्लों को एक जगह से दूसरे जगह ले जा रहे थे. स्कूल के जर्जर कमरों की मरम्मति का जिम्मा अब मिथिला स्टूडेंट यूनियन ने अपने कंधे पर लिया है. इससे पहले बीते गुरुवार को गुरुवार को दर्जनों की संख्या में यूनियन के कार्यकर्ता और छात्र जुटकर इलाके के दुकानों और आस पास के घरों में गमछा फैलाकर भिक्षाटन की थी. गमछा बिछाकर भीख मांग रहे यूनियन के कार्यकर्ताओं को लोग आशा की नजर से देख रहे थे. आस-पास के इलाकों में यह चर्चा का विषय बन गया कि स्कूल मरम्मति के लिये एमएसयू वाले भीख मांग रहे हैं. बता दें कि 1951 ई. में स्थापित सीता मुरलीधर उच्च विद्यालय को +2 का दर्जा भी मिल चुका है. इस विद्यालय में कुल 13 शिक्षक हैं. 9वीं व 10 वीं में 7 शिक्षक व +2 का दर्जा मिलने के बाद 5 शिक्षकों की बहाली की गयी. विद्यालय के पूर्व के बने एक दर्जन कमरे पूर्णतया क्षतिग्रस्त व जर्जर होकर खंडहर में तब्दील हो चुकी है. विद्यालय के पास पांच बीघा का विशाल भूखंड है, लेकिन परिसर की घेराबंदी नहीं की जा सकी है. शौचालय की हालत बद से बदतर है, छात्रावास ध्वस्त हो गया है. परिसर में महज एक ही चापाकल है, जो अक्सर खराब ही रहता है. 2008 ई. में इस विद्यालय को प्लस टू का दर्जा मिला, जिसके बाद वर्ष 2009 में प्लस टू विद्यालय भवन के निर्माण के लिए 39 लाख 50 हजार रुपये आवंटन हुआ था लेकिन भवन निर्माण कार्य समय पर नहीं होने के कारण 2011 में विद्यालय भवन के नाम पर आवंटित राशि वापस चली गयी.
जिसके बाद स्थानीय स्तर पर कई बार भवन निर्माण के लिए जनप्रतिनिधियों व प्रशासन से पहल की गुजारिश की गई लेकिन नतीजा सिफर रहा. यहां कमरे और संसाधन के अभाव में छात्राऐं जमीन पर बैठकर तो छात्र साईकिल स्टैंड पर खडे़ होकर परीक्षा देने को विवश होते हैं. यहां हर साल हज़ार से अधिक छात्र नामांकित होते है, लेकिन संसाधन के अभाव में कई वर्षों से विद्यालय के बरामदे पर बैठकर परीक्षा देना यहां की परंपरा बन चुकी है. बसैठ स्थित सीता मुरलीधर उच्च विद्यालय में एक तो आम दिनों में पढाई करने के लिए छात्र-छात्रा आते नहीं हैं और जब भी परीक्षा होती है तो सरकार की गुणवत्ता शिक्षा का अजब नज़ारा दिखने लगता है. सरकार व स्थानीय जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण विद्यालय प्रबंधन द्वारा बच्चों के शिक्षा के मौलिक अधिकार का खूलेआम हनन होता रहा है. अब मिथिला स्टूडेंट यूनियन के इस पहल के बाद लोगों में नयी आशा दिखी है. मौके पर प्रखंड अध्यक्ष आशीष झा चुन्नू, जिलाध्यक्ष शशि अजय झा, राष्ट्रीय सचिव राघवेन्द्र रमण, बिहार प्रभारी प्रियरंजन पांडेय, रणधीर झा, सुमित सिंह, विजय श्री टुन्ना, जॉनी, मयंक, मुरारी, अभिराम कुमार, राजन झा, मनीष, राजा चौधरी , विकाश, निरंजन पासवान, पल्लव मिश्रा, मनीष कुमार, कृष्णा झा, नीतीश, सचिन, सीतेश, राकेश, मनोहर झा सहित अन्य सदस्य व छात्रों ने भी अपना श्रमदान देकर भवन निर्माण में अपनी उल्लेखनीय योगदान दे रहे हैं. हर तरफ एमएसयू के प्रयासों की जमकर सराहना की जा रही है.
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विद्यालय में काम करते मिथिला स्टूडेंट यूनियन के कार्यकर्ता |
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