मधवापुर: प्रखंड क्षेत्र के उतरा, बैंगरा, मुखियापट्टी, बाड़ा टोल, पिहवाड़ा, बासुकी, दुर्गापट्टी व साहरघाट रामजानकी मंदीर परिसर में कार्तिक स्नान करने वाली नवयूवतियों ने ऑवला पूजन कर अक्षय नवमी व्रत रखा. प्राप्त जानकारी के अनुसार कार्तिक महिने के शुक्ल पक्ष के नवमी तिथि को कार्तिक स्नान करने वाली कुवांरी कन्याओं द्वारा मनाये जाने वाला यह पर्व ना केवल आध्यात्मिक दृष्टिकोण से मोक्षदायिनी है बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी उपयोगी है. रविवार को कन्याओं ने विधिविधान के साथ निष्ठापूर्वक ऑवला पेड़ के नीचे इस व्रत को ले पूजा अर्चना की और अक्षय होने की ईश्वर से कामनायें कीं. इस दौरान कन्याओं ने उसी पेड़ के तले विभिन्न प्रकार के पकवान बना कर नवेद डाली और ध्यानपूर्वक अक्षय नवमी व्रत कथा का श्रवण किया. वहीं पंडित सुबोध मिश्र ने जानकारी देते हुये बताया कि इस व्रत के रखने से मृत्यू लोक में बार बार आने जाने का चक्कर समाप्त हो जाता है तथा मनुष्य को मोक्ष प्राप्त होता है. अक्षय वर प्राप्ति के लिये कार्तिक मास में ब्रहं मूहूर्त में स्नान करनेवाली कन्यायें अक्षय नवमीं को आंवला पेड़ की छाया में विभिन्न प्रकार के पकवान बनाकर सच्चे दिल से पूजा अर्चना करती हैं. इससे अक्षय वर प्राप्त होता है. दूसरी ओर औषधीय दृष्टिकोण भी आंवला सेवन, आंवला की छाया और उसका पत्ते आदि मनुष्य को कायाकल्प करनेवाला साबित होता है. आंवला मनुष्य को नवजीवन व आरोग्य प्रदान करने में बेहद ही उपयोगी होता है. अतः आंवला पूजन न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से ही अपितु वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी मनुष्य के लिये बेहद ही उपयोगी सिद्ध होता है. वहीं साहरघाट में पूजन कर रही निक्की कुमारी, सीता कुमारी, रीना कुमारी, आरती कुमारी, चंचला कुमारी, अनुराधा कुमारी, मीरा कुमारी, चांदनी कुमारी, ज्योति कुमारी व उतरा में राधा कुमारी, मनीषा कुमारी, सोनी कुमारी, प्रियंका कुमारी समेत अन्य व्रति कन्याओं ने कहा कि इस अवसर पर एक दिन के उपवास व पूजा अर्चना करने से अक्षयवर और मृत्यू के उपरांत स्वर्ग की प्राप्ति होती है. हमलोग हर वर्ष निष्ठापूर्वक कार्तिक मास के नवतीं मिथि को अक्षय व्रत करते हैं.
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