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अनुज्ञप्ति की जटिलता के खिलाफ खूदरा बालू विक्रेताओं ने काला बिल्ला लगाकर किया विरोध प्रदर्शन

फोटो:- साहरघाट में बालू दूकान बंद कर काला बिल्ला लगा विरोध व्यक्त करते व्यवसायी
मधवापुर: बालू विक्रेताओं को अनुज्ञप्ति लेने की अनिवार्यता व अनुज्ञप्ति लेने की प्रक्रिया में व्याप्त जटिलता से अब खूदरा बालू का कारोबार करनेवाने कारोबारियों को अब रोजगार ठप होने की चिंता सताने लगी है. जिससे आक्रोशित बालू व्यवसायी बुधवार की अहले सुबह अपनी अपनी दूकान बंद कर काला बिल्ला लगाकर सरकार की नीति का विरोध किया और जिलाधिकारी के कार्यालय का घेराव करने को सामूहिक रुप से कूच किया. कूच करने के दौरान खूदरा बालू व्यापारियों ने बताया कि राज्य सरकार ने बालू कारोबारियों के लिये जो नये दिशा निर्देश जारी किये हैं, उसके अनसार बालू विक्रेताओं को अब अनुज्ञप्ति लेनी में तकरीबन लाखों की राशि जमा करनी होगी. साथ ही पांच ट्रकों को एक साथ पार्किंग करने की उपलब्धता, कार्यालय खोलने और कंप्यूटर से लैस करने समेत कई अहम दिशा निर्देश छोटे स्तर के बालू व्यापारियों के लिये मूुश्किले खड़ी करती दिख रही है. लिहाजा अब अधिकतर बालू विक्रेताओं को अपना कारोबार बंद करने के सिवा कोई दूसरा चारा नही दिख रहा है. वहीं विक्रेता रामउदार यादव, मोद नारायण पंजियार, राधेश्याम गामी, नरेश ठाकुर, सरदार हरिवंश सिंह, पूनदेव महतो, ललन यादव, रामबाबू राउत, समाजसेवी अनिल झा, रवींद्र नायक व दशरथ पंजियार सहित अन्य विक्रेताओं ने बताया कि सरकार द्वारा जारी किया गया दिशा निर्देश का अनुपालन करना सहज नही रहा. सरकार अगर टैक्स ही लेना चाहती है तो सीधे बालू उठाव स्थल से ही राशि लेने की व्यवस्था करे या फिर बालू कारोबार के लिये सहज अनुज्ञप्ति कानून बनाये जायें, जिससे छोटे-छोटे खूदरा बालू बिक्रेताओं को भी अपना कारोबार करने में कोई परेशानी नही हो. उधर बालू कारोबार में बने नये कानून और तमाम झंझटों से न केवल कारोबारियों की ही परेशानी बढ़ चुकी है, बल्कि महीनों से बालू संकट का सामना कर रहे गृह निर्माण कराने वाले आम लोगों की भी समस्यायें बढ़ चुकी है. समाजसेवी अनिल झा ने कहा कि सरकार की दमनकारी नीति के खिलाफ अब बालू कारोबारी आंदोलन का रुख अख्तियार करने को विवश हो चुके हैं. बता दे ंके पिछले कई महीनों से बालू नही मिलने के कारण हजारों लोगों का मकान निर्माण अधर में लटका पड़ा है और हजारों मजदूर भूखमरी के शिकार हो रहे थे, जिससे अन्य राज्यों की ओर पलायन करने को विवश हो गये, पर अब महीनों के गतिरोध समाप्त होने पर नियम कानून की लंबी फेरिस्त की वजह से आज से बंद हो चुके बालू की बिक्री भी आमलोगों की परेशिानियां कम करनेवाली नही रही.
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