मधुबनी: देश भर में आइएएस, आइपीएस सहित उच्च पदों पर अपनी उपस्थिति दर्ज
कराने वाला मधुबनी जिला का देश के विभिन्न राज्यों में अलग रुतवा रहा है।
मधुबनी पेंटिंग्स के लिए विश्व प्रसिद्ध मधुबनी जिला के सपूतों ने अपनी बेहतर
सेवा और कड़ी मेहनत के बल पर सदैव अपने जिला का नाम रोशन करता रहा है। इसी
कड़ी में जिले के राजनगर प्रखंड के सिमरी गांव निवासी व भारतीय प्रशासनिक
सेवा के अधिकारी डॉ. जेएन सिंह वर्ष 2016 में ही गुजरात के मुख्य सचिव बनकर
मधुबनी जिला ही नहीं बल्कि बिहार का नाम रोशन किया। वहीं अब जिले के
बाबूबरही प्रखंड के मौआही गांव निवासी व भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी
शिवानंद झा गुजरात के डीजीपी बन गए हैं। डॉ. ¨सह के बाद अब श्री झा ने भी
मधुबनी जिला ही नहीं बल्कि बिहार का नाम रोशन किया है। उक्त दोनों के अलावा
जिले के अंधराठाढ़ी प्रखंड के हररी गांव निवासी मोहन झा भी गुजरात के
गांधीनगर में डीजी (प्रशासनिक) के पद पर पदस्थापित हैं। मधुबनी जिले के
विभिन्न तीन प्रखंडों के निवासी के गुजरात में दो शीर्ष पदों समेत एक अन्य
प्रमुख पद पर पदस्थापित होना मधुबनी जिले ही नहीं बल्कि बिहार के लिए भी
गौरव की बात है। जिले के उक्त तीनों लालों पर जिलेवासियों को काफी गर्व है।
डा. जेएन ¨सह जुलाई 2016 से गुजरात के मुख्य सचिव के पद पर पदस्थापित हैं।
पटना के आर्यभट्ट नॉलेज युनिवर्सिटी से बीए ऑनर्स की डिग्री लेने वाले
गुजरात कैडर के 1983 बैच के आईपीएस शिवानंद झा को महानिदेशक एवं
महानिरीक्षक के पद पर नियुक्त किया है। श्री झा इससे पूर्व तक इंटेलीजेंस
ब्यूरो में महानिदेशक पद पर कार्यरत थे। श्री झा को उच्चतम न्यायालय ने
गुजरात दंगों के लिए गठित एसआईटी में भी शामिल किया था। अक्टूबर 2013 में
अहमदाबाद का पुलिस आयुक्त नियुक्त किया गया था। जनवरी 2016 में उनका नाम
दिल्ली पुलिस आयुक्त के लिए भी चर्चा में आया था।
*डीजीपी के गांव में लोगों के चेहरे पर तैरने लगती खुशियां
जिले के बाबूबरही थाना क्षेत्र के मौआही गांव के लोगों को जैसे ही पता चला
कि उनके गांव के लाल शिवानंद झा गुजरात के डीजीपी पद पर पदस्थापित हुए हैं,
तो ग्रामीणों में खुशी की लहर दौड़ गई । गुजरात के डीजीपी श्री झा दो वर्ष
पूर्व अपने पैतृक गांव मौआही आए थे। अपने चाचा जगदीश बाबू के घर ठहरे थे।
यहां गांव में डीजीपी शिवानंद झा के चाचा स्वतंत्रता सेनानी जगदीश झा ने
कहा कि श्री झा के पिता स्व. वैद्यनाथ झा बिहार सचिवालय में फिनान्स विभाग
के बजट आफिसर पद से रिटायर किए थे। उनकी ईमानदारी का सानी नहीं। वे कार्य
अवधि के बाद भी सचिवालय में कार्यों का निपटारा किया करते थे। कार्य अवधि के बाद घर जाने
के लिए सरकारी वाहन का उपयोग नहीं करते थे। चचेरे भाई कन्हैयाजी, शंभूजी,
विजय, संतोष आदि ने बताया कि डीजीपी श्री झा गांव आने पर कुर्ता-पायजामा
में गांव के कई आंगनों में पहुंच लोगों से मिलते-जुलते रहे है। बगैर
बाडीगार्ड गांव में आम लोग की तरह ग्रामीणों बातचीत करते है।
इनकी पत्नी वैदेही कुशल गृहणी है। गांव के सभ्यता, संस्कार से इनका शुरू से
ही नाता रहा है। पटना के पाटलिपुत्रा में इनका पैतृक घर है। प्रारंभिक
शिक्षा-दीक्षा पटना में हुई। वर्ष 1982 में एलाईड सेवा में इनका चयन हुआ।
इनकम टैक्स आफिसर पद पर ज्वाइन भी किए। वर्ष 1983 में आइपीएस में चयन हुआ।
इनके छोटे भाई देवानंद झा व देवानंद झा की पत्नी जया
झा फिलहाल श्रीलंका में चिकित्सक है। गांव में इनका पैतृक संपति है। श्री
झा के चाचा रामनारायण झा कोलकाता यूनिवर्सिटी से लॉ की पढाई किए थे।
0 comments:
Post a Comment