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न्यायपालिका में पिछड़े वर्ग की प्रतिनिधित्व हो : माधव आंनद

मधुबनी: राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सह प्रवक्ता माधव आंनद ने कहा कि पार्टी 'हल्ला बोल, दरवाजा खोल' के शीर्षक से न्यायपालिका में समाज के पिछड़े वर्ग के प्रतिनिधित्व को मजबूत करने के लिए आंदोलन शुरू करने जा रही है। पार्टी की मांग है कि इस सूचना को सार्वजनिक किया जाए कि सुप्रीम कोर्ट और अन्य उच्च न्यायालयों में समाज के पिछड़े वर्ग से आने वाले कितने न्यायाधीश है।  इसके अलावा, बाकी अन्य न्यायधीशों की पृष्ठभूमि भी सार्वजनिक की जानी चाहिए। जिस प्रकार लोक संघ सेवा आयोग के द्वारा आईएस तथा आईपीएस के नियुक्ति के लिए एक संवैधानिक प्रक्रिया का प्रयोग किया जाता है। ठीक उसी प्रकार न्यालायायों में न्याधिशों की नियुक्ति के लिए भी एक ऐसी व्यवस्था बनानी चाहिए। जिससे समाज के सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व करने का बराबर मौका मिले।केवल कार्यपालिका या संसद में ही नहीं, बल्कि न्यायपालिका में भी समाज के पिछड़े वर्गों का प्रतिनिधित्व बढ़ाने की आवश्यकता है। तभी हम एक मजबूत सामाजिक और लोकतांत्रिक राष्ट्र के रूप में आगे बढ़ पाएंगे। समाजवाद और मजबूत लोकतांत्रिक व्यवस्था, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी की विचारधारा के दो प्रमुख आधार है। इन तीनों लोकतांत्रिक संस्थाओं में हर समाज का प्रतिनिधित्व होना चाहिए।  अभी हाल ही में हुए एससी/ एसटी एक्ट संशोधन के खिलाफ दलित आंदोलन का एक बड़ा कारण दलित समाज से सुप्रीम कोर्ट में प्रतिनिधित्व नहीं होना है। न्यायपालिका में दलित समाज का बेहद कम प्रतिनिधित्व है। यह आंदोलन न्यायपालिका के प्रति दलित समाज की अभिव्यक्ति है। इसलिए हमारी पार्टी पिछड़े वर्ग के हक अधिकार के लिए आंदोलन का शंखनाद करने जा रही है।
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