हरलाखी(मधुबनी): बेटी
बचाओ बेटी पढ़ाओ की तर्ज पर संचालित जागरूकता अभियान संस्था सह हरलाखी
प्रखंड के कसेरा गांव की अनामिका झा ने बेरोजगारी पर अपने वक्तव्य जाहिर
करते हुए कहा कि भारत की बेरोजगारी मौजुदा समय की सबसे चर्चित समाजिक,
राजनीतिक और कुटनीतिक मुद्दा "बेरोजगारी" है। जिसे आप अभिशाप समझे या उसे
संकट के रूप में लें, लेकिन मनुष्य निर्मीत यह समस्या है। जो अब विकट रुप
ले रही है। भारत में बेरोजगारी की बढ़ती औसत चिंता का विषय है। सबसे पहले
समझना होगा की यह समस्या हल क्यूं नहीं हो रही है ? जबकी सरकारे इस मुद्दे
पर अतिसंवेदना के साथ काम करना चाहती है।
मेरे हिसाब
से इसका भी मुल कारण अन्य देशो के मुकाबले हमारी कमजोर और पौराणिक स्कुली
व्यवस्था है।बांकि अन्य कुछ कारण भारत में लोग डिग्री के तरफ आर्कषित होते
हैं, जबकि रोजगार सबंधी अन्य कोर्सो पर कम ध्यान देते है। भारत में छोटे
मोटे स्वरोजगार को रोजगार की श्रेणी में नहीं गीना जाना है। जाली
सर्टीफीकेट और अन्य गलत तरीकों से उच्च शिक्षा डिग्री प्राप्त करना भी एक
कारण है। पिछले एक दशकों से सरकारी विभागों में बहाली का नही होना। मानव
निर्मीत मशीनो और यंत्रो का प्रचलन का विस्तार भी एक प्रमुख कारण है।
उन्होंने यह भी कहा कि मैनें कुछ ऐसे कारण भी बताएं जो लोगो को हजम नही
होगी, लेकिन इन चिजों का हमारे बेरोजगारी के गणना में महत्वपुर्ण स्थान
होता है और गणना के आधार पर ही औसत पता चलता है। सामान्यतः ग्रामीण भारत
में जनगणना के वक्त सारे गैर सरकारी नौकरी वाले लोगों का रोजगार
"बेरोजगारी" ही दर्ज करा दी जाती है । खैर, बेरोजगारी की समस्या के लिए
वर्तमान केन्द्र सरकार के नीतियों से निकट भविष्य में इस समस्या में गीरावट
की उम्मीद जगी है। प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना, स्कील डेवल्पमेंट
मंत्रालय का गठण, तकनीकी शिक्षा पर जोड़, प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, बेटी
पढ़ाओ बेटी बचाओ, मेक इन इंडिया जैसी योजनाएं एक मुहीम की तरह चलाई जा रही
है। जिससे हमारे युवा पीढ़ी में जागरूकता का संचार और कौशल का निखार होगा।
जिससे काफी हद तक रोजगार की समस्या का हल देखने को मिल रहा है। सुझाव बहुत
सारे दिये जा सकते है, लेकिन बेहतर है कि हर कोई अपने आपको बेहतर करने के
लिए प्रेरित करे तो भी बेरोजगारी का बहुत हद तक समाधान हो सकता है। इसके
लिए हम सभी को अपने अंदर जागरूकता लाकर काम करना होगा।
0 comments:
Post a Comment